नीचे दिये गये वाक्यों या काल के उदाहरण (Kaal ke udahran) को पढ़िए और समझिए –
- राजा ने दूध पिया।
- वर्षा दूध पीती है।
- पिताजी दूध पियेंगे।
इन वाक्यों में क्रमश: ‘पिया’, ‘पीती है’, ‘पियेंगे’ क्रिया-पद अलग-अलग समय पर होने वाले कार्य के बोधक हैं। ‘पिया’ क्रिया से कार्य हो चुकने का बोध होता है। ‘पीती है’ क्रिया से कार्य अभी हो रहा है, का बोध होता है तथा ‘पियेंगे’ क्रिया से कार्य अभी होना शेष है, का बोध होता है। ये तीनों स्थितियाँ काल का बोध करा रही हैं। इस आधार पर क्रिया के तीन काल माने गये हैं।
Kaal Kise Kahate Hain काल किसे कहते हैं
काल की परिभाषा (Kaal Ki Paribhasha) = क्रिया के जिस रूप में कार्य करने या होने के समय का ज्ञान होता है, उसे काल (kaal in Hindi) कहा जाता है।
काल के भेद (Kaal Ke Bhed) = काल के प्रकार (Kaal Ke Prakar)
(1) वर्तमान काल (Present Tence)
(2) भूतकाल (Past Tence)
(3) भविष्यत् काल (Future Tence)
- वर्तमान काल = जो समय चल रहा है, उसे वर्तमाल काल कहते हैं, जैसे –
मोहन खेल रहा है।
बच्चा रो रहा है।
वर्तमान काल के तीन भेद हैं –
(क) सामान्य वर्तमान = क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल की क्रिया का सामान्य रूप से होना पाया जाए, उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं, जैसे –
मैं पत्र लिखता हूँ।
राधा गाती है।
(ख) संदिग्ध वर्तमान = क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल की क्रिया के होने में संदेह पाया जाए, उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते हैं, जैसे –
वह पढ़ता होगा।
राधा प्रतीक्षा करती होगी।
(ग) अपूर्ण वर्तमान = क्रिया के जिस रूप से पता चले कि क्रिया अभी चालू है, जैसे –
पक्षी उड़ रहे हैं।
हम खा रहे हैं।
- भूतकाल = जो समय बीत चुका है, उसे भूतकाल कहते हैं, जैसे- वर्षा हुई थी।
मोहन खेला था।
भूतकाल के छह भेद हैं –
(क) सामान्य भूत = क्रिया के जिस रूप से साधारणतः काम का बीते हुए समय में होना पाया जाए, जैसे – वर्षा हुई, लड़के आए।
(ख) आसन्न भूत = इससे पहचाना जाता है कि काम भूतकाल में शुरू होकर अभी-अभी समाप्त हुआ है, जैसे –
उसने लड़ाई की।
गाड़ी आई है।
(ग) पूर्ण भूत-इस रूप से यह पता चलता है कि काम भूतकाल में पूरा जैसे – हो गया था,
गाड़ी आई थी।
वर्षा हुई थी।
लड़के आए थे।
(घ) अपूर्ण भूत = इसमें काम के भूतकाल में जारी रहने का पता चलता है, जैसे –
जाता है,
वर्षा आ रही थी।
लड़के आ रहे थे।
(ङ) संदिग्ध भूत = इसमें क्रिया के भूतकाल में होने पर संदेह किया जैसे –
वर्षा हुई होगी।
लड़के आए होंगे।
(च) हेतु-हेतुमद् भूत = इसमें भूतकाल की क्रिया किसी कारण पर आधारित होती है, जैसे –
यदि वह आता, तो मैं जाता।
यदि वर्षा होती, तो खेती नहीं सूखती।
- भविष्यत् काल = क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय के बोध हो, उसे भविष्यत् काल कहते हैं, जैसे –
राम खेलेगा।
कृष्ण बंसी बजाएगा।
‘गा’, ‘गे’, ‘गी’ इसके चिह्न हैं।
भविष्यत् काल के तीन भेद हैं –
(क) सामान्य भविष्यत् = भविष्य में होने वाली क्रिया के सामान्य रूप को सामान्य भविष्यत् काल कहते हैं, जैसे –
मैं खेलूँगा, तुम पढ़ोगे।
(ख) सम्भाव्य भविष्यत् = क्रिया के जिस रूप से भविष्य में कार्य होने की सम्भावना हो, उसे सम्भाव्य भविष्यत् काल कहते हैं, जैसे-
शायद वह चला जाए।
सम्भवत: मैं नौकरी छोड़ दूँ।
(ग) सातत्यबोधक भविष्यत् = जिस क्रिया रूप से भविष्य में भी कार्य के जारी रहने का बोध हो, उसे सातत्यबोधक भविष्यत् कहते हैं, जैसे- मैं आपके काम आता रहूँगा।
मैं दैनिक पुस्तकालय जाऊँगा।
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