Sunday, October 13, 2024
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Vachya Kise Kahate Hain वाच्य किसे कहते हैं – परिभाषा, भेद, प्रकार, उदाहरण

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Vachya Kise Kahate Hain वाच्य किसे कहते हैं

Vachya

वाच्य की परिभाषा (Vachya Ki Paribhasha) = वाच्य का अर्थ है – बोलने का विषय। अतः क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि क्रिया का मुख्य विषय कर्ता है, कर्म है अथवा भाव, उसे ‘वाच्य’ कहते हैं, उदाहरण – “सोनिया खेल रही है।” इस वाक्य में खेलने का मुख्य विषय ‘सोनिया’ अर्थात् कर्ता है। इसलिए यह कर्तृवाच्य वाक्य है।

वाच्य के भेद (Vachya Ke Bhed)
वाच्य के दो भेद होते हैं =

  1. कर्तृवाच्य = इसमें कथन का केन्द्र कर्ता होता है। कर्म गौण होता है। कर्तृवाच्य में क्रिया अकर्मक भी हो सकती है और सकर्मक भी, जैसे-
  • राजीव सोता है। (अकर्मक)
  • राजीव ‘पुस्तक’ पढ़ता है। (सकर्मक)

इन दोनों वाक्यों में कर्ता ही वाक्य का केन्द्र बिन्दु है। अतः कर्तृवाच्य वाक्य है।

  1. अकर्तृवाच्य = जिन वाक्यों में कर्ता गौण या लुप्त होता है, उसे अकर्तृवाच्य कहते हैं। अकृर्तवाच्य के दो भेद हैं –
    (क) कर्मवाच्य = जिस वाक्य में केन्द्र बिन्दु कर्ता न होकर ‘कर्म’ हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। कर्म की प्रधानता के कारण या तो कर्ता का लोप हो जाता है; या कर्ता के बाद ‘से’ ‘अथवा’ ‘द्वारा’ का प्रयोग होता है, जैसे –
  • सोनिया से गीत गाया गया। [कर्ता (सोनिया) के बाद ‘से’ का प्रयोग ।]
  • पतंग उड़ रही है। (कर्ता का लोप)
  • रोगी को दवाई दे दी गई है। (कर्ता का लोप)

(ख) भाववाच्य = जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता न होकर अकर्मक क्रिया का भाव प्रमुख हो, उसे भाववाच्य कहते हैं। ऐसे वाक्यों में क्रिया का एकवचन, पुल्लिंग, अकर्मक तथा अन्य पुरुष में रहती है, उदाहरण –

  • सोहन से चला नहीं जाता।
  • अब मुझसे सहा नहीं जाता।

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