Sunday, November 17, 2024
HomeGrammarKarak in Hindi - कारक परिभाषा, भेद, और उदाहरण

Karak in Hindi – कारक परिभाषा, भेद, और उदाहरण

नीचे दिये गये वाक्यों को पढ़िए और समझिए कि कारक किसे कहते हैं karak kise kahate hain.

अनु, भारती को पकड़ने के लिए दौड़ी।
अतुल ने मोहन से पुस्तक ली।

लिखे वाक्यों में क्रमशः ‘को’, ‘के लिए’, ‘ने’, ‘से’ ऐसे चिह्न प्रयुक्त हुए हैं जिनके कारण वाक्यों के स्वरूप में भिन्नता आ गई है। इन चिह्नों को विभक्ति, कारक चिह्न या परसर्ग कहते हैं।

Karak in Hindi – Paribhasha, Bhed, Prakar, Udahran

Karak in Hindi

कारक की परिभाषा Karak Ki Paribhasha = कारक का अर्थ है ‘क्रिया को करने वाला’। कारक विभिन्न संज्ञाओं- सर्वनामों को क्रिया के साथ किसी न किसी भूमिका में जोड़ते हैं, जैसे – “‘राम ने सत्य को पाने के लिए रावण से युद्ध किया।” यहाँ ‘ने’, ‘को’, ‘के लिए’, ‘से’ आदि कारक क्रमशः राम, सत्य, पानी, रावण को युद्ध करने की क्रिया से जोड़ रहे हैं। अतः ये कारक हैं। ये क्रिया कराने में संज्ञा, सर्वनाम आदि की भूमिका निश्चित कर रहे हैं। संक्षेप में, कारक संज्ञा आदि शब्दों को क्रिया के साथ किस न किसी भूमिका में जोड़ने का कार्य करते हैं। दूसरे शब्दों में संज्ञा या सर्वनाम की क्रिया के साथ भूमिका निश्चित करने वाले कारक कहलाते हैं।

कारक के भेद Karak Ke Bhed / कारक के प्रकार Karak Ke Prakar

हिन्दी में मुख्य रूप से छः प्रकार के कारक होते हैं। प्रायः इन कारकों के चिह्न साथ लगते हैं। इन चिह्नों को परसर्ग या विभक्ति कहा जाता है। कुछ स्थलों पर विभक्ति चिह्न नहीं लगाते।

जैसे – कर्त्ता कारक में ।

नीचे कारक तथा उनके विभक्ति-चिह्न दिए जा रहे हैं –

कारककार्यविभक्तियाँ
क्रियाक्रिया को करने वालाने या (बिना चिह्न)
कर्मजिस पर क्रिया का प्रभाव या फल पड़ेको या (बिना चिह्न)
करणजिस साधन से क्रिया होसे, के द्वारा, के साथ, के कारण
सम्प्रदानजिसके लिए क्रिया की गई होके लिए, को, के, निमित्त
अपादानजिससे पृथकता होसे (पृथक्ता सूचक)
अधिकरणक्रिया करने का स्थान/आधारमें, पर


कारक सम्बन्धी नियम

  1. कर्त्ता कारक = क्रिया करने वाले को कर्त्ता कहते हैं। बिना कर्त्ता के क्रिया सम्भव नहीं है। यह कर्त्ता प्रायः चेतन रहता है, जैसे – मोहन लिख रहा है। प्राकृतिक शक्ति या पदार्थ भी कर्त्ता के रूप में हो सकते हैं, जैसे- सूर्य चमकता है, बादल गरजते हैं, आदि।
  2. कर्म कारक = क्रिया का प्रभाव या फल जिस संज्ञा/सर्वनाम पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। यथा –

रंजन पुस्तक पढ़ रहा है।
रजनी ढोलक बजा रही है।

कर्म की पहचान – वाक्य में कर्म की पहचान करने का उपाय यह है कि क्रिया के साथ ‘क्या’ ‘किसे’ लगाकर देखिए। जो उत्तर मिलेगा, वह ‘कर्म’ होगा।

मुख्य और गौण – कभी कभी वाक्य में एक साथ दो कर्म मिलते हैं। यथा –

दूधिया ग्राहकों को दूध दे रहा था।
माँ बच्चे को खाना खिला रही थी।

  1. करण कारक = करण कारक का अर्थ है – साधन। संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप की सहायता से क्रिया सम्पन्न होती है, उसे करण कारक कहते हैं। इसकी विभक्तियाँ हैं – ‘से’ के द्वारा उदाहरणार्थ –

उसने पैंसिल से चित्र बनाया।
रविदत्त दाएँ हाथ से लिखता है।
उसे पत्र द्वारा सूचित कर दिया गया है।
हम दही के साथ रोटी खाते हैं।
मैं मोहन के द्वारा संदेश भेज दूँगा।
मैंने समाचार-पत्र के माध्यम से जानकारी प्राप्त की।

  1. सम्प्रदान कारक = जिसके लिए क्रिया की जाती है, या जिसे कुछ दिया जाता है, उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं। इसके परसर्ग को, के लिए, के हेतु, के वास्ते हैं। यथा-

अध्यापक ने छात्रों के लिए पुस्तक लिखी।
अपनी पुस्तकें दूसरों को मत दो।
बाबू ने भिखारी को दस रुपये दिए।
पेट के वास्ते मनुष्य क्या नहीं करता?

  1. अपादान कारक = ‘अपादान’ अलगाव के भाव को प्रकट करता है। संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से अलग होने के भाव प्रकट हों, उसे अपादान कारक कहते हैं। अपादान की विभक्ति ‘से’ है। उदाहरणतया –

मोहन छत से कूद पड़ा।
वह कल ही दिल्ली से लौटा है।
यमुना यमुनोत्री से निकलती है।
यह घर से कई बार भाग चुका है।
मेरा घर यहाँ से दूर है।

  1. करण और अपादान कारक में अन्तर = करण और अपादान दोनों कारकों में ‘से’ परसर्ग प्रयुक्त होता है। जहाँ साधन (करण) के अर्थ में ‘से’ का प्रयोग है, वहाँ करण कारक और जहाँ अलग होने के अर्थ में ‘से’ का प्रयोग होता है, वहाँ अपादान कारक होता है, जैसे –

सुनील गाड़ी से मद्रास गया (करण)
सुनील गाड़ी से गिर गया (अपादान)
हम शहर से आए हैं।
(अपादान) हम बस से आए हैं। (करण)

  1. अधिकरण कारक = क्रिया होने के स्थान और काल को बताने वाला कारक ‘अधिकरण कारक’ कहलाता है। इसकी विभक्तियाँ हैं – में, पर, के ऊपर, के अंदर, के बीच, के मध्य, के भीतर आदि। उदाहरणतया –

स्थान बोधक –
चिड़िया पेड़ पर बैठी है।
सिंह वन में रहता है।
घर के भीतर बैठो।
कमरे के अंदर आओ।

काल बोधक –
मैं शाम को आऊँगा।
गाड़ी चार घंटे में पहुँचेगी।
परीक्षा मार्च में होगी।

विभक्ति-रहित-अधिकरण – कई स्थलों पर अधिकरण कारक की विभक्ति लुप्त हो जाती है, जैसे –
वह अगले साल आएगा।
इस जगह पूर्ण शांति है।
वह घर-घर घूमता रहा।
तुम्हारे घर सोना बरसेगा ।

सम्बन्ध कारक – एक संज्ञा या सर्वनाम का दूसरी संज्ञा या सर्वनाम से सम्बन्ध बताने वाले शब्द-प को सम्बन्धकारक कहते हैं। इसके परसर्ग हैं- का, के, की, रा, रे, री।
उदाहरण –
सुरभि का लेख सुन्दर है।
प्रियेश की माताजी आ रही है।
मोहन के भाई को भेज दो।
ये मेरे मित्र हैं।

  1. सम्बोधन = संज्ञा के जिस रूप में किसी को पुकारा, बुलाया, सुनाया या सावधान किया जाए, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। जैसे –
    हे भगवान! मुझे दुष्टों से बचाइए।
    अरे भाई! तुम अब तक कहाँ थे।
    अजी श्रीमान् ! इधर तशरीफ़ लाइए।
    देवियों और सज्जनों! जरा ध्यान दीजिए।

Like our Facebook page and follow our Instagram account to know more information about Karak in Hindi Grammar (कारक हिंदी व्याकरण में).

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments