Saturday, December 21, 2024
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Letter to Mother in Hindi माँ को पत्र हिंदी में

Write a letter to mother in Hindi. We are sharing list of letter to mother in Hindi language with the prescribed format.

Letter to Mother in Hindi माँ को पत्र हिंदी में

Letter to Mother in Hindi माँ को पत्र हिंदी में

Letter 1 – पुत्री का पत्र माताजी के नाम – आगे पढ़ने की इच्छा बताए और विवाह स्थगित करने के बारे में पत्र लिखे। Write a letter to mother in Hindi and indicate your desire to study further and letter about postponement of marriage.

जयपुर
5.12.2000

पूजनीया माताजी,
सादर नमस्ते।

आज ही आपका पत्र मिला जिसे पढ़कर बहुत प्रसन्नता हुई। यहाँ पर हम सब कुशलपूर्वक हैं और आशा करती हूँ वहाँ सब ठीक हो। जो पत्र आपने पिताजी को लिखा, वह उन्होंने मुझे दिखाया। भारतीयों के रीति-रिवाज यद्यपि इस बात की आज्ञा नहीं देते कि कोई कन्या अपने विवाह के संबंध में कुछ कहे-सुने; फिर भी मैं अपनी बुद्धि के अनुसार आपसे सस्नेह प्रार्थना करने की धृष्टता करने लगी हूँ, क्योंकि आपने मुझे अच्छी शिक्षा दिलाई है। आपने लिखा कि आपने वर देख लिया है, अच्छा खाने-कमाने वाला है। यह ठीक है कि आप मेरी भलाई का ही कार्य करेंगी; परंतु मेरा संकल्प है कि मैं उच्च शिक्षा अवश्य प्राप्त करूँ।

अभी तो मेने सिर्फ मैट्रिक की परीक्षा ही पास की है। मेरा मन बी कॉम तक पढ़ने का था। जब तक मैं बी कॉम उत्तीर्ण न कर लूँ, तब तक आप मेरे विवाह संबंधी विचार को स्थगित रखें। उच्च शिक्षा प्राप्त करके में नौकरी भी कर सकती हूँ। मैं घर के कामकाज तो भलीभाँति कर ही लेती हूँ, इसलिए नौकरी के साथ साथ घर के काम करने में भी कोई परेशानी नहीं होगी। इसलिए जब तक मैं अपने उद्देश्य को पूरा न कर लूँ, तब तक आप मुझे किसी बंधन में जकड़ने का विचार न करें।

इसके इलावा दूसरा कारण यह भी है की में अभी सिर्फ सोलह वर्ष की हूँ और भारतीय कानून के अनुसार काम उम्र के कारण यह विवाह अवैध है-गैर-कानूनी है। माताजी, ऐसा पत्र लिखने के लिए मुझे माफ़ कर देना।

आपकी पुत्री
नेहा

Letter 2 – कॉलेज में हुई भाषण प्रतियोगिता का विवरण देते हुए माताजी को पत्र। Write a letter to mother in Hindi giving details of speech competition held in college.

रहन विद्याभवन, पुराणी गली,
ग्वालियर
5.12.2020

पूजनीया माताजी,

चरण-वंदना। मुझे खेद है कि मैं पिछले सप्ताह आप तक घर नहीं पहुंच पाया। दरअसल हमारे कॉलेज में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। आप पहले से ही जानते हैं कि हमारे कॉलेज का संचालन अन्य राज्यों में भी प्रसिद्ध है। इसे हासिल करने के लिए आस-पास के हर कॉलेज में कॉम्पिटीशन होता है। इस बार भी इसमें भाग लेने के लिए पचास वक्ता और दल आए थे।

भाषण प्रतियोगिता का विषय था ‘क्या शराबबंदी एक राजनीतिक गलती है या दूरदर्शी है’। मैंने भी इस प्रतियोगिता में भाग लिया। विजेता टीम वेंकट रमन संस्कृत कॉलेज, दिल्ली थी; लेकिन आपको यह जानकर खुशी होगी कि मुझे दूसरे स्थान के लिए पुरस्कार मिला और हमारा कॉलेज दूसरे स्थान पर रहा। लोगों ने मेरे भाषण की खुलकर तारीफ की और स्पीकर ने मुझे गले से लगा लिया।

आपका पुत्र
अतिरंजन

Letter 3 – विवाह स्थगित करने के बारे में माताजी को पत्र लिखे। Write a letter to mother in Hindi about postponing the marriage.

8/12, जैराढ़ नगर,
चितोड़गढ़
6.5.2020

पूजनीया माताजी,

सादर चरण-वंदना। आपका आशीर्वाद-भरा पत्र मुझे कल ही मिला। यह जानकर बहुत चिंता हुई कि आपकी सेहत ठीक नहीं है। आपने इस पात्र में मेरे विवाह के संबंध में लिखा है। यों तो आपकी आज्ञा मेरे लिए शिरोधार्य है, मैंने कभी भी आपकी आज्ञा का उल्लंघन करने की चेष्टा नहीं की है; किंतु एक नम्र निवेदन करना चाहता हूँ। मैं अभी विद्यार्थी हूँ और कम-से-कम चार वर्ष तक और मेरा पढ़ने का विचार है। आजकल की इस भागदौड़ वाली दुनिया में खर्चे बहुत बढ़ गए है। यानि की मेरा विवाह तब किया जाए जब मैं अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊँ। जल्दी में विवाह करना ठीक नहीं रहेगा।

आप पहले से ही जानती हैं कि हम लोगों की आय के साधन बड़े सीमित हैं। पिता जी पहले ही मेरी शिक्षा का खर्चा बहुत मुश्किल से निकाल पा रहे है। इसलिए सारी बातों को देखते हुए, मैं आपसे यही प्रार्थना करूँगा कि आप अपने इस निर्णय पर पुनः विचार करें। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप मेरे विचारों से सहमत होंगी और पत्र द्वारा अपने निर्णय से मुझे अवगत कराएँगी। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।

आपका आज्ञाकारी पुत्र
राहुल

Letter 4 – ससुराल से सम्बंधित पुत्री की ओर से माताजी को पत्र। Letter to mother in Hindi related to in-laws from daughter.

26, राजन मोहल्ला
मथुरा
दिनांक……

पूजनीया माताजी,
सादर प्रणाम।

मैं आपके आशीर्वाद से सकुशल हूँ और आशा करती हूँ कि घर पर भी सब आनंदपूर्वक होंगे। विवाह के बाद जब से मैं यहाँ आई हूँ, मेरा चित्त नहीं लगता है। मुझे यहाँ कोई किसी से बोलने नहीं देता है, अकेले ही मन बहलाना पड़ता है। हर समय सासजी काम के लिए तिकतिकाती रहती हैं। यदि कभी मैं किसी काम को नहीं कर पाती, या अचानक कोई काम मुझसे बिगड़ जाता है तो सास-ननद दोनों ताने देकर कहती हैं कि माँ के घर कुछ सीखा भी था या नहीं? ऐसा सुनकर अच्छा नहीं लगता। अपने कमरे में मेरा रो-रो कर मेरा बुरा हाल हो जाता है। इतना ही नहीं बाद में चाचाजी और पतिदेव से कहकर उनसे भी बुरा-भला कहलवा देती हैं। इसके अतिरिक्त कभी-कभी उनके प्रहारों को भी सहना पड़ता है। अकारण ही जेठानी-देवरानी की जली-कटी बातें सुननी पड़ती हैं। अंदर ही अंदर अब इस घर में मेरा दम घुटता है। इस प्रकार के अनेक कारणों से मैं यहाँ रहना नहीं चाहती। इसलिए पिताजी को भेजकर यहाँ से मुझे बुलवा लीजिए या यहाँ आकर इनसे बात कीजिए।

पत्रोत्तर शीघ्र देने की कृपा कीजिएगा। राजेश तथा कोमल को प्यार, सबको मेरी नमस्ते।

आपकी प्यारी बेटी
अंगूरी

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