जानिए अनौपचारिक पत्र हिंदी में कैसे लिखें जाते है। Know information about how to write informal letter in Hindi for college and school students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Informal letter in Hindi means unofficial letter in hindi or anopcharik patra in Hindi. We provide latest list of informal letter in Hindi with format sample and examples.
Informal Letter in Hindi अनौपचारिक पत्र हिंदी में
Letter 1 – सड़क दुर्घटना पर अपने मित्र को अनौपचारिक पत्र (Anopcharik Patra) लिखिए। Write a informal letter on road accident to your friend in Hindi.
लोहशनगर, उज्जैन
6.2.2002
मित्रवर तान्विक,
सप्रेम नमस्कार।
परसो तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हारे प्रयास से ही मेरा काम संभव हुआ है, वरना कोई उम्मीद नहीं थी। कल से मन बहुत उदास था, तुम्हारा पत्र पाकर उदासी दूर हो गई। उफ़! क्या लिखूं ऐसे भीषण हादसे की याद मात्र से ही हृदय कांप उठता है और रोंगटे खड़े हो जाते है।
यह पिछले सोमवार की घटना है। जैसे की आप जानते ही हैं कि हम सभी इकठे होकर घूमने जाते हैं। जब आप यहां आए तो आप भी कई बार हमारे साथ गए है। उस दिन थोड़ी भीड़ थी। एक युवक और एक सुंदर बच्चा अपने नन्हे-मुन्नों को कार में बिठाकर वहां टहलने जा रहे थे। कॉलेज की तरफ से एक तांगा आ रहा था, जिसमें तीन यात्री बैठे थे। दोनों ने बच्ची को लेकर सड़क पार करने की कोशिश की। अचानक एक तरफ से एक बस और दूसरी तरफ से एक लॉरी आ गई। बस चालक ने बच्चे को बचाने के लिए बस को दाईं ओर मोड़ दिया। हे दुर्भाग्य! वह तांगा बस की चपेट में आ गया। तांगा कोचमैन और एक सवारी वहीं समाप्त हो गई। गंभीर रूप से घायल बाकी दो यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उस दिल दहला देने वाले हादसे को देखने वालों के आंसू नहीं रुके।
बार-बार यही ख्याल आता है कि किसी तरह ऐसे हादसों को रोका नहीं जा सकता? इस घटना को हम कुछ दिनों बाद भूल जाएंगे, लेकिन मृतकों और घायलों के परिजनों का क्या हुआ होगा, दिल बुझ गया है। बस अब ज्यादा नहीं लिखा जाता। सबको सप्रेम नमस्कार।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
श्रेय
Letter 2 – अपनी परीक्षा का विवरण देते हुए मित्र को अनौपचारिक पत्र लिखिए। write an informal letter to your friend about your school exam in Hindi.
2/15, हसीब अड्डा,
दिल्ली
6.1.2004
प्रिय मित्र दक्ष,
हेलो। आज मेरा आखिरी प्रश्नपत्र हो गया है और मैं रात 9.30 बजे ट्रेन से बॉम्बे जा रहा हूं। मैं इस पत्र में आपको परीक्षा के दौरान प्राप्त हुए नए अनुभव के बारे में कुछ लिखना चाहता हूं।
परीक्षा से एक सप्ताह पहले मेरा मन बहुत परेशान रहता था, क्योंकि मैं पढ़ाई में उतना ध्यान नहीं देता था जितना मेरे अन्य साथियों ने दिया था। मुझे ऐसा लग रहा था कि प्रश्नों के उत्तर देने वाले परीक्षार्थियों की तुलना में मैं पूर्णतः असफल हो जाऊँगा। मैं रोज अपने सहपाठियों से मिलता था और मेरा डर बढ़ता ही जाता था।
आखिर परीक्षा का दिन आ ही गया। हम सब परीक्षा भवन पहुंचे। मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था और मैं एक कोने में दुबका खड़ा रहा जब तक कि परीक्षा हॉल का प्रवेश द्वार नहीं खुल गया। दूसरी ओर, साथी हँसे, बातें की और शोर मचाया। परीक्षा हॉल का प्रवेश द्वार खुलते ही हम अपने-अपने स्थानों पर चले गए। मेरा स्थान दूसरी पंक्ति में सबसे आगे था। अधीक्षक के आदेश पर सभी चुप हो गए।
इसके बाद कॉपियों का वितरण किया गया। फिर हमने प्रश्नपत्रों का इंतजार करना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद प्रश्नपत्र भी आ गया। मेरा दिल धड़क रहा था। मैंने देखा तो अंग्रेजी का पहला प्रश्नपत्र सामने पड़ा हुआ था। मेरा दिल डूब रहा था; क्योंकि मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं आधे से भी कम सवालों के जवाब दे पाऊंगा। लेकिन फिर भी मुझे प्रभु की याद आई और प्रश्नपत्र पढ़कर उत्तर लिखने लगा। मित्रो, मुझे नहीं पता कि मेरी कलम में एक-एक करके सभी प्रश्नों के उत्तर लिखने की शक्ति कहाँ से आ गई।
मुझे अन्य प्रश्नपत्रों को हल करने में कोई कठिनाई नहीं हुई। ऐसा लगता था कि वे पेपर उदार हृदय के परीक्षकों द्वारा तैयार किए गए थे। इसलिए मुझे जवाब देने में कोई परेशानी नहीं हुई। केवल गणित के प्रश्नपत्र कठिन थे, फिर भी मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं उत्तीर्ण अंक प्राप्त कर लूंगा। मुझे आशा है कि कुल मिलाकर मैं अच्छे अंकों के साथ परीक्षा में अवश्य ही सफल होऊंगा। कृपया मेरी ओर से अपने माता-पिता को प्रणाम।
तुम्हारा प्रिय मित्र
लक्ष्य
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